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4 जुलाई 2011

Hindi Shayari - हिंदी शायरी - (भाग - 133)

(१) बागो - बहारो में तुम ही अच्छे लगे !
लेकिन इसमें मेरा कोई कशुर नहीं !!
कशुर हैं तो सिर्फ इस दिल का...!
जिसे हजारो में तुम ही अच्छे लगे !!

(२) हर पल दिल को बहला लेता हूँ !
तन्हाई में खुद को ही दोस्त बना लेता हूँ !!
याद उनको करके मुस्कुरा लेता हूँ !
गुजरे लम्हों को फिर करीब बुला लेता हूँ !!

(३) काश तू चाँद और मैं तारा होता !
आसमा में एक आशियाना हमारा होता !!
लोग तुम्हे दूर से देखते....!
नजदीक से देखने का हक बस हमारा होता !!

(४) रब उसे ऐसी तन्हाई न दे !
हम जी लेंगे तन्हा पर उसे तन्हाई न दे !!
इन निगाहों में बसी रहे उसकी सूरत !
भले मेरी सूरत उसे दिखाई न दे !!

(५) लगता हैं कोई हमसे खपा हैं !
पर यकिन हैं उसकी हर साँस में वफ़ा हैं !!
नहीं हैं उस जैसा कोई दुनियाँ में !
तभी तो उस पर ये जान फिदा हैं !!

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