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31 मई 2012

Hindi Shayari - हिंदी शायरी - (भाग - 156)

(१) हर यादों में उनकी याद रहती हैं !
मेरी आँखों को उनकी तलाश रहती हैं !!
दुवा करो वो मुझको मिल जाए यारों !
सुना हैं दोस्तों के दुवा में फरिश्तो की आवाज़ होती हैं !!

(२) आँखों के सामने हर पल आपको पाया हैं !
अपने दिल में भी सिर्फ आपको ही बसाया हैं !!
आपके बिना हम जिए भी तो कैसे........!
भला जान के बिना भी कोई जी पाया हैं !!

(३) तेरी चाहत में हम ज़माना भूल गये !
किसी और को हम अपनाना भूल गये !!
तुम से मोहब्बत हैं बताया सारे जहाँ को !
बस एक तुझे ही बताना भूल गये.....!!

(४) आज भी खरे हैं उस चाँद के दीदार में !
जो खोई हैं हजारों सितारों के प्यार में !!
कब नज़र आएगा उसे जमीन का ये पत्थर !
जिसने खाई हैं ठोकर उसके प्यार में....!!

(५) दिल यूँना कभी उदास होता !
जो कोई अपना हमारे पास होता !!
यूँ तो हमने साथ दिया अक्सर अपनों का !
पर काश किसी को हमारी तन्हाई का एहसास होता !!

25 मई 2012

Hindi Shayari - हिंदी शायरी - (भाग - 155)

(१) साम की समा में एक तस्वीर नज़र आती हैं |
तब इस होठों से एक बात निकल आती हैं ||
कब होगी तुमसे जी भर के बातें......|
बस यही सोच के हर साम गुजर जाती हैं ||

(२) आपने कहा मोहब्बत पूरी नहीं होती |
हम कहते हैं हर बार ये बात जरुरी नहीं होती ||
मोहब्बत तो वो भी करते हैं उनसे......|
जिन्हें पाने की कोई उम्मीद नहीं होती ||

(३) आँखों के सागर में ये जलन हैं कैसी |
आज दिल को तड़पने की लगन हैं कैसी ||
बर्फ की तरह पिघल जायेगी जिंदगी |
ये तेरी दूर रहने की कसम हैं कैसी ||

(४) लम्हे होंगे तो मुलाकात भी होगी |
हम साथ हैं तो फिर बात भी होगी ||
जब कभी जरुरत हो मेरी तो पीछे मुर के देखना |
मेरी चाहत हमेशा आपके साथ - साथ होगी ||

(५) आए मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आये |
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आये ||
यूँ तो हर साम तेरी उम्मीद में गुजर जाती है |
आज कुछ बात हैं जो साम पे रोना आये ||

4 मई 2012

Hindi Shayari - हिंदी शायरी - (भाग - 154)

(१) जिंदगी में खुशियाँ ही नहीं ग़म भी हो !
मुसीबतों को सहने का आपमें दम भी हो !
रहो जिस मोड़ पर तनहा एय दोस्त....!
दुवा करना उस मोड़ पर हम भी हो !!

(२) साथ हमारा पल भर ही सही !
पर ये पल जैसा मुक़मल कोई कल नहीं !!
हो शायद फिर मिलना हमारा कहीं !
तू जो नहीं तो तेरी यादे संग सही !!

(३) जिंदगी में तुमसे एक लम्बी मुलाकात हो !
मिलकर साथ बैठे हम और लम्बी बात हो !
करने को सिर्फ तेरी - मेरी बात हो....!
रुक जाये वक़्त फिर दिन हो न रात हो !!

(४) धीरे - धीरे सब दूर होते गये !
वक़्त के आगे हम मजबूर होते गये !!
रिश्तों में हमने ऐसी चोट खाई हैं !
बस हम बेवफा और सब बेकशुर होते गये !!

(५) अजीब था उनका अलविदा कहना !
सुना कुछ नहीं और कहा भी कुछ नहीं !!
कुछ यूँ बर्बाद हुवे उनकी मोहब्बत में !
की लुटा कुछ नहीं और बचा भी कुछ नहीं !!

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