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16 जून 2011

Hindi Shayari - हिंदी शायरी - (भाग - 130)

(१) हम उठ के चले तेरे महफिल से !
पीछे से तुम ने पुकारा भी नहीं....!!
फिर खुद ही रुक गए कदम मेरे !
क्योंकी तेरी मोहब्बत के बिना मेरा गुजारा नहीं !!

(२) तुम दूर हो कर भी मेरे करीब हो !
मेरे दिल से पूछो कितने अज़ीज़ हो !!
अपनी हथेली को कभी गौर से देखना !
सायद किसी लकीर में मेरा भी नसीब हो !!

(३) होठों की जूबा ये आंशु कहते हैं !
जो चुप रहते हैं फिर भी बहते हैं !!
इन आंशुओ की किस्मत तो देखिये !
ये उनके लिए बहते हैं जो इन आँखों में रहते हैं !!

(४) जरुर किसी ने दिल से पुकारा होगा !
एक बार तो चाँद ने भी आपको निहारा होगा !!
मायूस हो गए होंगे आसमान के सितारे...!
जब जमीन पे खुदा ने आपको उतारा होगा !!

(५) उनकी ख़ामोशी से मुझे डर लगता हैं !
दूर न हो जाए वो मुझसे ऐसा क्यों लगता हैं !!
दुनियाँ से उसे छीन लेने का हौसला हैं मुझमे !
पर शायद वो साथ न दे ऐसा क्यों लगता हैं !!

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