अँधियारे जीवन-नभ में...
अँधियारे जीवन-नभ में, बिजुरी-चमक गयी तुम!
सावन झूला झूला जब, बाँहों में रमक गयीं तुम!
कजली बाहर गूँजी जब, श्रुति-स्वर-सी गमक गयीं तुम!
महकी गंध त्रियामा जब, पायल-झमक गयीं तुम!
तुलसी-चौरे पर आकर, अलबेली छमक गयीं तुम!
सूने घर-आँगन में आ, दीपक-सी दमक गयीं तुम!
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