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18 मार्च 2010

Hindi Shayari - हिंदी शायरी - (भाग - 17)

(1) कभी खामौशी खुछ कह जाती हैं!
सोचने के लिए सिर्फ यादें रह जाती हैं!!
क्या फ़र्क परता हैं दूर हो या पास!
दुरियाँ ही दोस्ती की मतलब सिखाती हैं!!

(2) रोएगी ये आँखें मुस्कुराने के बाद!
आएगी रात दिन ढल जाने के बाद!!
रूठना न हमसे कभी ऐ मेरे दोस्त!
सायद ये जिंदगी न रहे तेरे रूठ जाने के बाद!!
By: प्रबंध कुमार सिंह

(3) होठो पे दिल के तराने नहीं आते!
शाहिल पे समंदर के फ़साने नहीं आते!!
हममे दुरी सिर्फ इस बात की है की!
हमे आपसे मिलने के बहाने नहीं आते!!

(4) आज सोचा सलाम भेजू!
आप मुस्कुराए ऐसा पैगाम भेजू!!
कोई फूल हो तो मुझे मालूम नहीं!
जो खुद गुलाब हो उसे गुलाब क्या भेजू!!
By: तुपेश कोल्टे

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