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6 जून 2008

अँधियारे जीवन-नभ में...

अँधियारे जीवन-नभ में, बिजुरी-चमक गयी तुम!
सावन झूला झूला जब, बाँहों में रमक गयीं तुम!

कजली बाहर गूँजी जब, श्रुति-स्वर-सी गमक गयीं तुम!
महकी गंध त्रियामा जब, पायल-झमक गयीं तुम!

तुलसी-चौरे पर आकर, अलबेली छमक गयीं तुम!
सूने घर-आँगन में आ, दीपक-सी दमक गयीं तुम!

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