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10 मई 2011

Hindi Shayari - हिंदी शायरी - (भाग - 97)

(१) जिंदगी एक अभिलाषा हैं !
क्या गजब इसकी परिभाषा हैं !!
जिंदगी क्या हैं मत पूछो आए दोस्तों..!
सवर गई तो दुल्हन, बिखर गई तो तमाशा हैं !!

(२) ऐसा वादा न करना जो निभा न सको !
उस से दिल मत लगाना जिसे अपना बना न सको !!
दोस्ती सब से करना मगर....!
उस एक को खुश रखना जिसके बिना आप मुस्कुरा न सको !!

(३) निकले कोई अगर दिल में बस जाने के बाद !
दर्द होता हैं उनसे बिछर जाने के बाद....!!
पास होता हैं जो उसकी कदर नहीं होती !
कमी महसूस होती हैं उसके दूर जाने के बाद !!

(४) तेरे दिल में मेरे लिए जगह न सही !
मुझे खुद से दूर तो न कर.....!!
मुझे जिनी हैं ये जिंदगी तेरे संग !
मुझे मरने के लिए मजबूर तो न कर !!

(५) कहाँ से लाऊ हुनर उनको मनाने का !
कोई जबाब नहीं था उनके रूठ जाने का !!
मोहब्बत में सजा मुझे ही मिलनी थी...!
क्योकि जुर्म मैंने किया हैं उनसे दिल लगाने का !!

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