Hindi Shayari - हिंदी शायरी - (भाग - 114)
(१) गुलसन में भी बहार आते हैं !
हर किसी पे हम कहाँ यकीन कर पाते हैं !!
दिल का जिसपे होता हैं ज्यादा भरोसा !
कसम से उसी से हम धोखा खाते हैं !!
(२) सौ दूरियों पे रह कर भी जुदा न थे !
वो मेरी जिंदगी थे बेवफा न थे !!
जरा सी बात को क़यामत बना डाला !
वर्ना कभी वो मुझसे इतना खफा न थे !!
(३) हुस्न वाले खूब वफाओ का सिला देते हैं !
हर मोड़ पे एक ज़ख्म नया देते हैं !!
अए दोस्त इस जहाँ में कोई अपना नहीं !
जब आग लगती हैं तो पत्ते भी हवा देते हैं !!
(४) दर्द ने पलकों पे सजाया मुझको !
जिंदगी क्या हैं ये बताया मुझको !!
जब भी दिल में हँसने की तमन्ना जागी !
मेरी तक़दीर ने जी भर के रुलाया मुझको !!
(५) चाहत को रोग बना लेने दो !
पलकों के बिच छुपा लेने दो !!
बाद में तुम तक़दीर बताना मेरी !
पहले मुझे ख्वाब सजा लेने दो !!
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