Hindi Shayari - हिंदी शायरी - (भाग - 64)
(१) दिल से दूर जिन्हें हम कर न सके !
पास भी उन्हें हम पा न सके !!
मिटा दिया प्यार जिसने हमारे दिल से !
हम उनका नाम लिख कर भी मिटा न सके !!
(२) मज़ा आता हैं हमें आपको सताने में !
रूठेही न कोई तो मज़ा क्या हैं मनाने में !!
एक तुम से ही हैं ख़ुशी जरासी ......!
वर्ना राख हैं दुनियाँ क्या हैं जमाने में !!
(३) काश ये जिंदगी हसीन होती !
खुद के चाहने से हर दुवा कबूल होती !!
कहने को तो सब अपने हैं......!
पर काश कोई ऐसा होता जिसे मेरे दर्द से तकलीफ होती !!
(४) तारो में अकेला चाँद जगमगाता हैं !
मुश्किलों में अकेला इंसान डगमगाता हैं !
काँटों से मत घबराना एय मेरे दोस्त !
काँटों में ही अकेला गुलाब मुश्कुरता हैं !!
(५) अब इस इंतज़ार की आदतसी हो गई हैं !
ख़ामोशी अब एक हालात सी हो गई हैं !!
न शिकवा न शिकायत हैं किसी से .... !
क्योकि अब अकेलापन से मोहब्बत सी हो गई हैं !!
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