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18 अप्रैल 2011

Hindi Shayari - हिंदी शायरी - (भाग - 68)

(१) तुझे हर मोड़ पे कोई न कोई चाहेगा !
पर मेरे जैसा यार तू कहाँ पाएगा !!
हम तो बिना बोले जान लुटा देंगे तुझपे !
पर तू मेरे मरने का गम न सह पाएगा !!

(२) शाम की शमा में एक तस्वीर नज़र आती हैं !
तब इन होठों से एक बात निकल आती हैं !!
कब होगी उनसे जी भर के बातें !
बस ये सोच हर शाम गुजर जाती हैं !!

(३) जिंदगी हर पल ढलती हैं !
जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती हैं !!
कितने भी गम हो हर हाल में हँसते रहना !
क्योकि ये जिंदगी ठोकर से ही सम्भलती हैं !!

(४) अँधेरे ने कभी रौशनी नहीं देखि !
मौत ने कभी जिंदगी नहीं देखि !!
जो कहते हैं मिट जाती हैं दूरियों से दोस्ती !
उन्होंने शायद हमारी दोस्ती नहीं देखि !!

(५) टूट जाते है बिखर जाते हैं !
काँच के घर में मुकदर अपने !!
अजनबी तो सदा प्यार से मिलते हैं !
भूल जाते हैं तो अक्सर अपने !!

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