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30 अप्रैल 2011

Hindi Shayari - हिंदी शायरी - (भाग - 86)

(१) बरा अजीब हैं ये जिंदगी का मोर !
अनजानी राहों में दोस्त बन जाते हैं !!
मिलने की ख़ुशी दे न दे पर.....!
बिछरने का गम जरुर दे जाते हैं !!

(२) मौसम नहीं जो पल भर में बदल जाऊ !
जमीन से दूर कहीं और ही निकल जाऊ !!
पुराने वक्त का सिक्का हूँ मुझे फेक न देना !
बुरे दिनों में शायद मैं ही चल जाऊ !!

(३) सब कुछ हैं मेरे पास पर दिल की दवा नहीं !
वो दूर हैं मुझ से पर मैं खफ़ा नहीं......!!
मालूम हैं अब भी प्यार करती हैं मुझसे !
वो थोरी जिद्दी हैं मगर बेवफ़ा नहीं...!!

(४) दिल यूँ ही किसी पर आता नहीं !
प्यार यूँ ही किसी से किया जाता नहीं !!
प्यार करो तो दर्द सहने की आदत डाल लेना !
क्योकि ये वो दर्द हैं जो "मूव" से भी जाता नहीं !!

(५) हर वक्त हँसने की आदत हो गई हैं !
जिंदगी तेरे यादों की इबादत हो गई हैं !!
बस साँस चल रही हैं इस मुर्दे जिस्म में !
रूह तेरे साथ ही रुक्सत हो गई हैं....!!

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बेनामी,  7 अक्तूबर 2014 को 4:23 pm बजे  

चार नंबर अच्छा हैं

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