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18 अप्रैल 2011

Hindi Shayari - हिंदी शायरी - (भाग - 69)

(१) कितना सरुर रात की तनहाइयों में था !
चुप था चाँद जैसे रुसवाइयों में था !!
लोग जाग रहे थे इबादत के लिए !
और ये दिल किसी की यादों की गहराइयों में था !!

(२) वादा हमने किया था निभाने के लिए !
एक दिल दिया था एक दिल पाने के लिए !!
उन्होंने मोहब्बत सिखा दी और कहा की...!
हमने मोहब्बत की थी किसी और को जलाने के लिए !!

(३) साथ अगर दोगे तो मुश्कुरायेगे जरुर !
दोस्ती दिल से करोगे तो निभायेगे जरुर !!
राह में कितने कांटे भी क्यों न हो !
आवाज़ अगर दिल से दोगे तो आयेंगे जरुर !!

(४) फिर दूर से एक बार सता दो मुझे !
मेरी तन्हाई का एहसास दिला दो मुझे !!
तू तो रौशनी है तुझे मेरी ज़रूरत क्या होगी !
मैं दिया हूँ किसी दहलीज़ पर ही जला दो मुझे !!

(५) जितना मज़ाक दुनियाँ उराती हैं !
उतनी ही तक़दीर जगमगाती हैं !!
जब करम खुदा का होता हैं !
तो जिंदगी पल भर में बदल जाती हैं !!

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