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25 अप्रैल 2011

Hindi Shayari - हिंदी शायरी - (भाग - 77)

(१) बैठे थे तनहा किसी के आस में !
कुछ नहीं यादो के अलाबा मेरे पास में !!
सोचते हैं क्या हुवा जो कोई नहीं करीब मेरे !
रेगिस्तान भी तो जीता हैं बरसात की आस में !!

(२) तू ही बता दिल को समझाऊ कैसे !
जिसे चाहूँ उसे नजदीक लाऊ कैसे !!
यूँ तो हर तमन्ना हर एहसास हैं वो !
पर उस एहसास को ये एहसास दिलाऊ कैसे !!

(३) ये वादा हैं तुमसे हमारा !
टूटेगा न ये रिश्ता हमारा !!
अगर सांसो की डोर टूट गई !
साथ देने के लिए लेंगे जन्म दुबारा !!

(४) दुश्मन भी पेश आए हैं दिलदार की तरह !
नफरत मिली हैं उनसे प्यार की तरह !!
वो बेवफाई करके भी शर्मिंदा न हुए !
सूली पे चढ़े हम गुनहगार की तरह !!

(५) आँखे थक गई आपके इंतज़ार में !
वक्त ने लुटा हमें भरे बाज़ार में !!
क्यों नहीं आए आप हमसे मिलने !
हम में कमी थी या हमारा प्यार में !!

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