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5 अप्रैल 2010

गीत है दिल की सदा..

गीत है दिल की सदा हर गीत गाने के लिए
गुनगुनाने के लिए सबको सुनाने के लिए

ज़ख़्म रहता है कहीं और टीस उठती है कहीं
दिल मचलता है तभी कुछ दर्द गाने के लिए

फूल की पत्ती से नाज़ुक गीत पर मत फेंकिए
बेसुरे शब्दों के पत्थर आज़माने के लिए

गीत के हर बोल में हर शब्द में हर छंद में
प्यार का पैग़ाम हो मरहम लगाने के लिए

फूल खिलते हैं वफ़ा के तो महकती है फ़ज़ा
हुस्न ढलता है सुरों में गुनगुनाने के लिए

आज के इस दौर में ‘जितू’ किसी को क्या कहे
गीत लिखना चाहिए दिल से सुनाने के लिए

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