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5 अप्रैल 2010

ये दुनिया इस तरह..

ये दुनिया इस तरह क़ाबिल हुई है
कि अब इंसानियत ग़ाफ़िल हुई है

सहम कर चाँद बैठा आसमाँ में
फ़ज़ा तारों तलक क़ातिल हुई है

खुदाया, माफ़ कर दे उस गुनह को
लहर जिस पाप की साहिल हुई है

बड़ी हसरत से दौलत देखते हैं
जिन्हें दौलत नहीं हासिल हुई है

जहाँ पर गर्द खाली उड़ रही हो
वहाँ गुर्बत की ही महफ़िल हुई है

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