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3 अप्रैल 2010

मुम्बई को अपना...

मुम्बई को अपना कहने वाले नज़र क्यों नहीं आते हैं !
मुम्बई के दुश्मनों से अब वो क्यों नहीं टकराते हैं !!

क्या ताज, ओबेराय, मरीन हाउस, मुम्बई में नहीं हैं !
या फिर मुम्बई के ठेकेदार अपनी मौत से घबराते हैं !!

दुसरे प्रान्त का कह कर अपने ही लोगों को मारते हैं !
वही दुसरे प्रान्त के लोग मुम्बई पर जान को लुटाते हैं !!

अपने ही देश के लोग जब तिनके की तरह रहते हैं !
वो जरा से वार से लकड़ी की तरह टूट कर बिखर जाते हैं !!

शर्म भी नहीं आती हैं इस देश के निकम्मे नेताओ को !
कहते हैं बड़े - बड़े शहरो में छोटे हादसे हो ही जाते हैं !!

मुम्बई की जंग में शहीद तो बहुत जवान हुए मगर !
शहर में सिर्फ चंद शहीदों के ही फोटो लगाए जाते हैं !!

जो दुश्मन हमारे देश पर करते हैं छुप कर वार !
हमारे नेता उन्ही को दावत पर इज्जत से बुलाते हैं !!

सुनलो सभी नेताओ जब जनता जाग जाती हैं !
तब कुर्सी खुद - ब - खुद निचे भाग जाती हैं !!

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