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7 मई 2011

Hindi Shayari - हिंदी शायरी - (भाग - 95)

(१) आँसुओं के सागर में दिल डुबोते हुए !
सारी रात गुजर गई हमे रोते हुए !!
मज़ाक कैसा किया तक़दीर ने हमसे...!
उन्हें पा न सके उनके होते हुए !!

(२) प्यार करके उसका इंतज़ार पाया हैं !
तनहाई में भी उसे हर पल पाया हैं !!
मिल जाए खुदा तो पूछूँगा उनसे...!
क्या तुने हर बार मुझे ही आजमाया हैं !!

(३) नाराज़ हम से कभी होना मत !
मुस्कान अपनी कभी खोना मत !!
जीते हैं हम आपके मुस्कुराहट देख कर !
अगर हम मर भी जाए तो कभी रोना मत !!

(४) पिघलती हैं मोम रौशनी के लिए !
होती हैं मोहब्बत दिलवालों के लिए !!
जिंदगी फना हैं आपकी खुशियों के लिए !
कुर्बान हैं हर साँस आपकी जिंदगी के लिए !!

(५) अपनी बेबसी पर आज रोना आया हैं !
दूसरों को क्या मैंने खुद को आजमाया हैं !!
हर एक की तनहाई दूर की हैं मैंने...!
पर खुद को हर मोर पे तनहा पाया हैं !!

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